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जनादेश एवं अपेक्षायें...

मँहगाई से व्यथित, विभिन्न क्षेत्रों में आतंक से लेकर क्षेत्रीय गुण्डाराज, अवैध वसूली, कचहरी और थानों के व्यर्थ चक्कर से पीड़ित, विभिन्न व्यथाओं से व्यथित जनता ने अबकी बार समवेत स्वर से व्यापक जनादेश दिया है। इस जनादेश के साथ ही यह आशा और विश्वास भी जताया है कि विकास होगा, जिसका लाभ जन-जन को मिलेगा। श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी अपने प्रथम चरण से इसी बात का संकेत दिया है कि उनकी प्राथमिकता देश का विकास और व्यवस्था का पुनर्स्थापन है। जब व्यथा बड़ी होती है, तब आवश्यकता भी बड़ी हो जाती है और अपेक्षायें भी बड़ी होती हं । जितनी बड़ी अपेक्षायें होती हैं, उतनी ही बड़ी बाधायें भी आती हैं उनकी पूर्णता के मार्ग में । यही सदिच्छा है कि विभिन्न अटकलों, अवरोधों एवं बाधाओं को पार करते हुये श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारतीय जनता की अपेक्षायें एवम् इच्छायेम् पूर्ण हो सकें । देश निराशा के वातावरण से आशा के प्रकाशमय जगत् तक की यात्रा कर सके। बहुत दिनों तक कालिमा थी, अन्धकार छाया हुआ था, मार्ग नहीं सूझता था। पिछली यूपीए सरकार में तो ऐसी कालिमा थी जैसे चन्द्रमा की चन्द्रिका को भी राहु ने ग्रस लिया हो। आज जनता के सार्थक समर्थन एवम् विश्वास से वह अन्धकार दूर हुआ है। नया विहान हुआ है। नव सूत्रपात हुआ है। कहते हैं कि बीज जितना सशक्त एवं उर्वर होता है पौढा और व्रुक्ष भी उतना ही शक्तिशाली एवं सुदृढ़ होता है। यह सरकार सुदृढ़, दृढ़निश्चयी और परिवर्तन कारी बने यही अपेक्षा है। मात्र सत्तापरिवर्तन ही नहीं अपेक्षित है शिक्षा से लेकर समाज तक प्रत्येक स्थान पर व्यवस्था-परिवर्तन भी अपरिहार्य है। देश को जकड़ती जा रही हीनभावना की सुरसा के मुख सदा-सदा के लिये बन्द हो जायँ और यह युवा देश एक बार फिर विश्व पटल पर गरजे, हुंकारे और अपनी युवा-प्रतिभा का दिग्दर्शन कराये। 
सपना सच हुआ...
पर नेत्र अभी उनींदे हैं...
नवल आलोक के सजे कसीदे हैं...
वो साकार सृष्टि करें यही उम्मीदे हैं।

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