राष्ट्रद्रोही अपने कुकृत्यों व करतूतों द्वारा JNU में पढ़ने आने वाली देश की प्रज्ञा का अपमान न करें और उसे बदनाम न करें

#JNU
भारत का एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहाँ आप न्यूनतम व्यय पर गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा
सहजता से प्राप्त कर सकते हैं। #JNU वह संस्थान है जहाँ एक विद्यार्थी को तब प्रवेश
मिलता है जब वह अपने स्तर के हजारो विद्यार्थियों में स्वयं को प्रवेश- परीक्षा द्वारा
उत्तम सिद्ध करने में सफल होता है। #JNU एक ऐसा प्रतिष्ठान है जहाँ सोच व अभिव्यक्ति
का नया आयाम व क्षितिज खुलता है (इसी अभिव्यक्ति का सहारा ले कुछ लोग अपना उल्लू भी
सीधा करते हैं जैसे सम्प्रति प्रकरण में किया पाकिस्तान-परस्त बनकर) परन्तु अभिव्यक्ति
की मर्यादित स्वतंत्रता व्यक्तित्व विकास का सहज व उत्तम अंग है।
#JNU
की विशेषताएं उसकी न्यूनताओं से कहीं ऊँची हैं। पर एक बात और है कि विशेषताओं की ओट
में राष्ट्रद्रोह को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता।
#JNU
की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए,उसकी प्रतिष्ठा का सम्मान करते हुए आज वह समय है
कि राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों व गिरोहों का पर्दाफाश हो। राष्ट्रद्रोहियों
का चेहरा देश के सामने आ गया है। #JNU की भूमि इनसे साफ हो। आज स्वच्छ JNU अभियान की
आवश्यकता है। अभियान शुरू हो गया है बस अपेक्षा है कि सभी विचारधाराओं के सँारे सीकचों
से बाहर आकर राष्ट्रवाद के साथ खड़े हों क्योंकि राष्ट्र सबसे ऊपर होता है।
दुर्भाग्य
व चुल्लू भर पानी में डूबने का विषय है कि JNU के शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग इन गतिविधियों
के साथ खड़ा नजर आता है। यह विचारणीय है कि जब उनकी संवेदना राष्ट्र के साथ नहीं है
तो क्या उनका कोई उत्तरदायित्व राष्ट्र के साथ होगा क्या? आज यह प्रश्न पूछने की जरूरत
है JNU के उन शिक्षकों से जो भारतीय अर्थव्यवस्था का करोड़ो डकारते हैं( जो कि आम जनता
के खून पसीने की कमाई है ) कि उनकी राष्ट्र के प्रति निष्ठा क्या है? वे किसके साथ
खड़े हैं -राष्ट्रद्रोह के साथ या राष्ट्रवाद के साथ?
अफजल
के समर्थन में नारों एवं उसे शहीद घोषित करने की बात को दबाने के लिये jnu के विद्यार्थियों
व देश की जनता का ध्यान विषय से हटाने के लिये अब समस्त वामपंथी एकसाथ हो मदारी बन
कलाबाज़ी दिखाने लगे हैं और अन्य बातों पर बहस खीचने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं।
अपना चेहरा उजागर होने से इतना घबराये हुये हैं कि उलूल-जुलूल-फिजूल पर उतर आये हैं
और उलूक बन बचने का आलोक खोज रहे हैं।
CPI
नेता डी. राजा की सुपुत्री अपराजिता राजा स्पष्ट रूप से वीडियो में देखी जा सकती हैं
इसलिये राजा इतना घबराये व बौखलाए कि बदहवास हो दल बल समेत jnu की ओर दौड़ पड़े। अब
उन्हें अपने व अपनी पार्टी के विचारधारा के अस्तित्व का संकट सताने लगा है। अब पता
चल गया है कि किस ओर हैं वो। पूरे वामपंथ की मिलीभगत व गलबँहियाँ सार्वजनिक हो गयी।
भारत में वामपंथ भारत विरोधी गिरोहों की फैक्टरी है यह बात भी उजागर हुई।
सब
सहा जा सकता है। सभी बातो को क्षमा किया जा सकता है पर राष्ट्रद्रोह अक्षम्य है। यह
अपराध नहीं जघन्य पाप है जिसका न प्रायश्चित है न क्षमा।
अत:
जो इस विषय पर अपनी अपनी बात रख रहे हैं। वे दो महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखें कि अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता व मानवाधिकार की आड़ में राष्ट्रद्रोह की इजाजत नहीं है। यह स्वीकार न
होगा इसका कड़ा प्रतिकार होगा। दूसरा का चन्द द्रोहियों, गिरोहों, गिरहकट्टों, राष्ट्र
के जेबकतरों, अलगाववादियो, आतंकवादियों, चापलूसों, चाटुकारों, स्वार्थियों, ढोंगियों,
विषधर व्यालों, मातृहन्ता बिच्छुओं के कारण jnu की विद्वत् परम्परा को बदनाम न करें
न होने दें। यह वहाँ के कार्यकर्ताओं की राष्ट्रीय चेतना का ही परिणाम है कि राष्ट्रद्रोह
के इस कुकृत्य व करतूत को राष्ट्र जान पाया और राष्ट्रद्रोहियों व अलगाववादियों का
चेहरा उजागर हुआ। #ABVP
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धन्यवाद
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