में आजकल कन्या भ्रूण हत्याओं के कारण लगातार लड़कियों की संख्या में कमी हो रही है । यह चिन्ताजनक है । क्योंकि लड़्कियों के विना समाज चल सकता है क्या ? स्त्री और पुरुष किसी समाज के आधारभूत और अनिवार्य घटक हैं पर हमारे यहाँ आजकल इस सर्वमान्य तथ्य को नज़र अन्दाज़ करके लड़कियों को अनावश्यक तत्त्व समझा जाने लगा है इसी का परिणाम है कि आज हमारी सरकार यहाँ काम कर रहे एनजीओ सभी इस विषय में चिन्तित हैं । चिन्ता इस सन्दर्भ को लेकर भी है कि यदि स्त्री - पुरुष अनुपात में बहुत बड़ा अन्तर हुआ तो समाज में स्त्रियाँ सर्वथा असुरक्षित हो जायेंगी तथा पर्दा - प्रथा जैसी कुरीतियाँ फिर से जन्म लेने लगेगीं ।कोई भी कुरीति विषमता में ही जन्म लेती है । स्त्रियों की कम संख्या एक प्रकार की विषमता ही है । समाज में इस प्रवृत्ति के यदि तह में हम जायें तो देखेंगे कि इसका मूल कारण दहेज - प्रथा है । माता - पिता कभी यह नहीं चाहते कि उनकी पुत्री को उसके अनुरूप घर - वर न मिले...