सन् 2000 की बात है उस समय पश्चिम बंगाल में #CPM का गुण्डाराज हुआ करता था। उसने रामकृष्ण मिशन को भी गुण्डागर्दी का शिकार बनाया। वे चाहते थे कि मिशन के शिक्षण-संस्थाओं के संचालक संत न होकर कम्युनिस्ट हों और वहाँ कम्युनिस्ट शिक्षकों की नियुक्ति हो। इसके लिये उन्होंने संतो को डरा-धमकाया भी। जब डराने से बात नहीं बनी तब रामकृष्ण मिशन विद्यालय को नगरपालिका द्वारा प्राप्त होने वाले पानी को बन्द करवाकर विद्यार्थियों व शिक्षकों को प्यासा रहने पर मजबूर किया। समाचार पत्रों के विरोध के कारण मार्क्सवादियों को थोड़ा पीछे हटना पड़ा।
रामकृष्ण मिशन के प्रसिद्ध नरेन्द्रपुर विद्यालय में जिस समय स्वामी लोकेश्वरानन्द जी अध्यक्ष थे, उस समय मार्क्सवादियों ने वहाँ कर्मचारियों की हड़ताल करवायी। विद्यार्थियों व शिक्षकों का आवासीय परिसर होंने के कारण भोजन-पानीए बन्द हो गया।……….परन्तु विद्यार्थियों और शिक्षकों ने उनके मंसूबों को पूरा नहीं होंने दिया और वे परिसर तथा छात्रावासों में डटे रहे। स्वयं हर प्रकार का काम किया और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति की। समाज ने भी यथोचित सहयोग दिया। इस प्रकार CPM की गुण्डा सरकार का रामकृष्ण मिशन पर कब्जा जमाने व स्वामी विवेकानन्द के स्वप्नों को ध्वस्त करने का सपना अधूरा रह गया।
उपर्युक्त घतना का उल्लेख मैं यहाँ इसलिये कर रहीं हूँ कि इससे वामपंथ के चरित्र का पता चलता है। जिसका प्रमुख चरित्र है डराना-धमकान-दबाव बनाना और जब इससे भी बात न बने तब हड़ताल करवाना। यदि हड़ताल भी निष्प्रभावी हो तो उस तरह कत्ल का ताण्डव मचाना जिस तरह केरल में #ABVP #RSS के कार्यकर्ताओं व अपने विरुद्ध आवाज उठाने वाले हरएक व्यक्ति के साथ मचाया है इन्होंने।
कल हड़ताल होंने जा रही है #JNUTA की हड़ताल। जिस हड़ताल में JNUTA का दावा है कि सभी शिक्षक व विद्यार्थी भाग लेंगे। हालांकि इस दावे में इतनी सच्चाई नहीं है। JNU का विद्यार्थी अभी स्वयं को असहाय अनुभव कर रहा होगा (खासकर वे विद्यार्थी जो कम्युनिस्ट संगठनों, पार्टियों और गिरोहों के खुलेतौर पर या परोक्षरूप से समर्थक शिक्षकों के निर्देशन में अध्ययन-शोध कर रहे हैं।)। इसलिये एक ज्ञात-अज्ञात भय के कारण विद्यार्थियों की एक संख्या इस बन्द में अवश्य भाग ले सकती है पर वह सहभागिता निष्ठापूर्वक कम दबाव के चलते अधिक होगी।
आज JNU के वामपंथी संगठन और गिरोह, जिनके ही करतूतों से वास्तव में विश्वविद्यालय बदनाम हो रहा है और उसके मेधावान् विद्यार्थियों को अपमान का घूँट पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है, मूल बात से ध्यान हटाने के लिये किसी भी हद पर उतर आने को बेताब हैं। आज ये और इनके आका लोग झूठों का पुलिन्दा बना-बकाकर विलाप से लेकर प्रलाप करने पर आमादा हैं। अपने इसी वाक्जाल में फँसाकर इन्होंने देश को अनेक बार बर्बाद करने की साजिश रची है। बंगाल को कंगाल किया है और इन्हीं हथकण्डों और विभिन्न मुखुटों के कारण इतने टुकड़ों में बंटे हैं कि इन्हें स्वयं अपने टुकड़ों और छद्म मुखौटों को याद रखने के लिये रजिस्टर तैयार करना पड़ा होगा।
ये फिर एक बार फेक, झूठा और दिखावे का अमोनियम क्लोराइड अपने नेत्रों से बहाने पर आमादा हैं सिर्फ इसलिये कि देश की जनता का ध्यान JNU में घटी राष्ट्रद्रोह की घटना से हटे और फिर ये अपने मजे में दशकों तक जनता के खून-पसीने की कमाई पर ऐश करें तथा अपने कुकृत्यों व करतूतों द्वारा JNU में पधने आने वाली देश की प्रज्ञा का अपमान करें और उसे बदनाम करें।
रामकृष्ण मिशन के प्रसिद्ध नरेन्द्रपुर विद्यालय में जिस समय स्वामी लोकेश्वरानन्द जी अध्यक्ष थे, उस समय मार्क्सवादियों ने वहाँ कर्मचारियों की हड़ताल करवायी। विद्यार्थियों व शिक्षकों का आवासीय परिसर होंने के कारण भोजन-पानीए बन्द हो गया।……….परन्तु विद्यार्थियों और शिक्षकों ने उनके मंसूबों को पूरा नहीं होंने दिया और वे परिसर तथा छात्रावासों में डटे रहे। स्वयं हर प्रकार का काम किया और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति की। समाज ने भी यथोचित सहयोग दिया। इस प्रकार CPM की गुण्डा सरकार का रामकृष्ण मिशन पर कब्जा जमाने व स्वामी विवेकानन्द के स्वप्नों को ध्वस्त करने का सपना अधूरा रह गया।
उपर्युक्त घतना का उल्लेख मैं यहाँ इसलिये कर रहीं हूँ कि इससे वामपंथ के चरित्र का पता चलता है। जिसका प्रमुख चरित्र है डराना-धमकान-दबाव बनाना और जब इससे भी बात न बने तब हड़ताल करवाना। यदि हड़ताल भी निष्प्रभावी हो तो उस तरह कत्ल का ताण्डव मचाना जिस तरह केरल में #ABVP #RSS के कार्यकर्ताओं व अपने विरुद्ध आवाज उठाने वाले हरएक व्यक्ति के साथ मचाया है इन्होंने।
कल हड़ताल होंने जा रही है #JNUTA की हड़ताल। जिस हड़ताल में JNUTA का दावा है कि सभी शिक्षक व विद्यार्थी भाग लेंगे। हालांकि इस दावे में इतनी सच्चाई नहीं है। JNU का विद्यार्थी अभी स्वयं को असहाय अनुभव कर रहा होगा (खासकर वे विद्यार्थी जो कम्युनिस्ट संगठनों, पार्टियों और गिरोहों के खुलेतौर पर या परोक्षरूप से समर्थक शिक्षकों के निर्देशन में अध्ययन-शोध कर रहे हैं।)। इसलिये एक ज्ञात-अज्ञात भय के कारण विद्यार्थियों की एक संख्या इस बन्द में अवश्य भाग ले सकती है पर वह सहभागिता निष्ठापूर्वक कम दबाव के चलते अधिक होगी।
आज JNU के वामपंथी संगठन और गिरोह, जिनके ही करतूतों से वास्तव में विश्वविद्यालय बदनाम हो रहा है और उसके मेधावान् विद्यार्थियों को अपमान का घूँट पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है, मूल बात से ध्यान हटाने के लिये किसी भी हद पर उतर आने को बेताब हैं। आज ये और इनके आका लोग झूठों का पुलिन्दा बना-बकाकर विलाप से लेकर प्रलाप करने पर आमादा हैं। अपने इसी वाक्जाल में फँसाकर इन्होंने देश को अनेक बार बर्बाद करने की साजिश रची है। बंगाल को कंगाल किया है और इन्हीं हथकण्डों और विभिन्न मुखुटों के कारण इतने टुकड़ों में बंटे हैं कि इन्हें स्वयं अपने टुकड़ों और छद्म मुखौटों को याद रखने के लिये रजिस्टर तैयार करना पड़ा होगा।
ये फिर एक बार फेक, झूठा और दिखावे का अमोनियम क्लोराइड अपने नेत्रों से बहाने पर आमादा हैं सिर्फ इसलिये कि देश की जनता का ध्यान JNU में घटी राष्ट्रद्रोह की घटना से हटे और फिर ये अपने मजे में दशकों तक जनता के खून-पसीने की कमाई पर ऐश करें तथा अपने कुकृत्यों व करतूतों द्वारा JNU में पधने आने वाली देश की प्रज्ञा का अपमान करें और उसे बदनाम करें।
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