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स्त्रियों के लिये असुरक्षित दिल्ली

आज महिलाएँ घर के बाहर् और भीतर हर जगह असुरक्षित हैं अभी हाल ही में दिल्ली की एक पत्रकार की हत्याइसका जीता-जागता उदाहरण है। ऐसे में हमारे आश्चर्य की सीमा तब पार हो जाती है जब दिल्ली की मुख्यमन्त्रीशीला दीक्षित इस घटना पर प्रतिक्रिया करते हुए कहती हैं कि सौम्या को रात में नही निकलना चाहिये था यहदुःसाहसिक कार्य है अब जब भारत की राजधानी दिल्ली में स्त्रियाँ इतनी असुरक्षित हैं तब देश के अन्य भागों कीबात कौन करे? मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित का यह बयान निश्चय ही दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यदि मुख्यमन्त्री ही ऐसाबयान देने लगेगी तब तो अपराधियों का मनोबल और ऊँचा होगा और स्त्रियों को छेड़ना , बलात्कार करना औरहत्या तक करना उनके लिये चुटकियोँ की बात हो जायेगी। कम से कम हमारे राजनेताओं को ऐसे शुतुरमुर्गीसमाधानयुक्त बयानों से बाज आना चाहिए। ऐसे बयानों से समाज में एक गलत संदेश जाता है सरकार किस लियेहै जब वह अपने नागरिकों को सुरक्षा तक मुहैया करा पाये और कोई घटना घटित होने पर उसे दुःसाहस बताये ?

Comments

क्या बात है, ममता !! आजकल लेखन-कार्य क्यों स्थगित कर दिया है?
अच्छा लिखती हो....कभी हमारे ब्लॉग पर भी अपनी उपस्थि्ति दर्ज कराना...........


आजकल ब्लॉगिंग जगत में वर्ड-वेरीफिकेशन को अनपेक्षित माना जाता है. इसे हटा दो तो अच्छा रहे.

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प्रेम

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राष्ट्रद्रोही अपने कुकृत्यों व करतूतों द्वारा JNU में पढ़ने आने वाली देश की प्रज्ञा का अपमान न करें और उसे बदनाम न करें

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